
सद्गुरु रविदास महाराज जी — सामाजिक, भाषिक और आध्यात्मिक योगदान
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प्रसंग — मध्यकालीन सामाजिक परिस्थितियाँ
सद्गुरु रविदास महाराज का आविर्भाव उस युग में हुआ जब देश और समाज अनेक विषम परिस्थितियों से गुजर रहे थे। उस समय भारत में धार्मिक कट्टरता, सामाजिक विषमता और जातिगत भेदभाव गहराई से व्याप्त था। ऊँच-नीच और छुआछूत की प्रथा समाज के प्रत्येक स्तर में मौजूद थी, जिससे मानवता का स्वरूप विकृत हो गया था।
सद्गुरु रविदास जी ने इन सब अंधविश्वासों और भेदभावों को चुनौती दी। उन्होंने ईश्वर की भक्ति को हर जाति, हर वर्ग, हर व्यक्ति का अधिकार बताया। उनके उपदेशों का मूल संदेश था — "मनुष्य की पहचान उसकी जाति से नहीं, उसके कर्म और भक्ति से होती है।"
सामाजिक चेतना और रविदास की क्रांति
उन्होंने समानता, प्रेम और मानवता के सिद्धांत पर आधारित एक नए समाज की कल्पना की। उनके विचारों ने समाज के दबे-कुचले वर्गों में आत्मसम्मान की भावना जगाई और उन्हें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक किया। उन्होंने भक्ति को केवल पूजा नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय का माध्यम माना।
“सच्चा धर्म वही है जिसमें किसी प्रकार का भेदभाव न हो, सबको एक समान ईश्वर की संतान माना जाए।”
महत्वपूर्ण श्लोक एवं वचन
जन्म जात मत पूछिए का जात अरु पात।
रविदास पूत सब प्रभ के, कोउ नहीं जात कुजात॥
जातपात के फेर मंहि, उरझि रहई सभी लोग।
मानुषता को खात हइ, रविदास जात का रोग॥
लिपि-सुधार और भाषिक योगदान
सद्गुरु रविदास महाराज केवल समाज सुधारक ही नहीं, बल्कि भाषा एवं लिपि के क्षेत्र में भी सुधारक थे। उन्होंने शिक्षण और भक्ति ग्रंथों को साधारण भाषा में लिखकर जनता के लिए सुलभ बनाया। उन्होंने बावन अक्षरों की जटिलता को घटाकर चौंतीस अक्षरों की सरल प्रणाली अपनाने की प्रेरणा दी, जो आगे चलकर गुरमुखी लिपि के रूप में प्रसिद्ध हुई।
लिखित उद्धरण (आदि ग्रंथ से)
सुखसागर सुरितरु चिंतामणि कामधैन बसि जाके रे । चारि पदारथ असट महा सिधि, नवनिधि करतल ता कै ।।१।। हरि हरि हरि न जपसि रसना । अवर सभ छाडि बचन रचना । ।१ । । रहाउ ।। नाना खिआन पुरान बेद विधि चउतीस अछर माही । बिआस बीचारि कहिओ परमारथु राम राम सरि नाही ।। २ ।। सहज समाधि उपाधि रहत होइ बडे भागि लिव लागी । कहि रविदास उदास दास मति जनम मरन भै भागी । । ३ । । २ । । १५ ।। (आदि ग्रंथ — पृ. 1106)
निष्कर्ष
सद्गुरु रविदास महाराज जी का जीवन और शिक्षाएँ मानवता, समानता, और ईश्वर-भक्ति की अद्भुत मिसाल हैं। उन्होंने उस युग में वह मार्ग दिखाया जिसमें कोई ऊँचा-नीचा नहीं, कोई अमीर-गरीब नहीं, बल्कि सब एक हैं। आज भी उनकी वाणी संसार भर में करोड़ों अनुयायियों को प्रेरित करती है।
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