नामु तेरो आरती — सतिगुरु रविदास महाराज जी
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आरती — नामु तेरो आरती
नामु तेरो आरती मजनु मुरारे ॥ हरि के नाम बिनु झूठे सगल पासारे ।।। ।। रहाउ ।।
नामु तेरो आसनो नामु तेरो उरसा नामु तेरा केसरो ले छिटकारे ॥
नामु तेरा अंभुला नामु तेरो चंदनो घसि जपे नामु ले तुझहि कउ चारे ॥1 ॥
नामु तेरा दीवा नामु तेरो बाती ।। नामु तेरो तेलु ले माहि पसारे ॥
नाम तेरे की जोति लगाई भइओ उजिआरो भवन सगलारे ।।2 ।।
नामु तेरो तागा नामु फूल माला भार अठारह सगल जूठारे ॥
तेरो कीआ तुझहि किआ अरपउ नामु तेरा तुही चवर ढोलारे ॥3 ॥
दस अठा अठसठे चारे खाणी इहै वरतणि है सगल संसारे ॥
कहै रविदास नामु तेरो आरती सतिनामु है हरि भोग तुहारे ॥4॥
अरदास - श्लोक
हम सरि दीनु दआलु न तुम सरि, अब पतीआरू किआ कीजै।।
बचनी तोर मोर मनु मानै, जन कउ पुरनू दीजै।।
हउ बलि बलि जाउ रमईआ कारने।। कारन कवन अबोल।। रहाउ।।
बहुत जन्म बिछुरे थे माधउ इहु जनमु तुमहारे लेखे।।
कहि रविदास आस लगि जीवो चिर भइओ दरसनु देखे।।
हरि सो हीरा छाडि कै करहि आन की आस।। ते नर दोजक जाहिगे सति भाखै रविदास।।
जपो जी सतिनाम, सतिनाम, सतिनामु जियो।
तोही मोही मोही तोही अंतरू कैसा।। कनक कटिक जल तरंग जैसा।।
जउ पै हम न पाप करंता अहे अनंता।। पतित पावन नामु कैसे हुंता।। रहाउ।।
तुमह जु नाइक आछहु अंतरजामी।। प्रभ ते जनु जानीजै जन ते सुआमी।।
सरीर आराधै मोकउ बीचारू देहू।। रविदास समदल समझायै कोउ।।
जपो जी सतिनाम, सतिनाम, सतिनामु जियो।
दारिदु देखि सभ को हसै, ऐसी दसा हमारी।। असट दसा सिधि कर तलै सभ क्रिपा तुमारी।।१।।
तू जानत मै किछु नहीं भवखंडन राम।। सगल जीअ सरनागती प्रभ पूरन काम।।१।। रहाउ।।
जो तेरी सरनागता तिन नाही भारु।। ऊच नीच तुम ते तरे आलजु संसारू।। २।।
कहि रविदास अकथ कथा बहु काइ करीजै।। जैसा तू तैसा तुही किआ उपमा दीजै ।। ३ ।। १ ।।
जपो जी सतिनाम, सतिनाम, सतिनामु जियो।
हरि हरि हरि हरि हरि हरि हरे।। हरि सिमरत जन गए निसतरि तरे।। १ ।। रहाउ।।
हरि के नाम कबीर उजागर।। जनम जनम के काटे कागर१।।
निमत नामदेउ दूधु पीआइआ।। तउ जग जनम संकट नहीं आइआ।। २।।
जन रविदास राम रंगि राता।। इउ गुर परसादि नरक नहीं जाता।। ३ ।। ५।।
जपो जी सतिनाम, सतिनाम, सतिनामु जियो।
अरदास - विनती सतगुरु रविदास महाराज जी के चरणों में
जगत गुरु, कुल्ल गुरु, धर्म गुरू, राज गुरू, गुरुओ के गुरु, धंन धंन सतिगुरु रविदास महाराज जीयो, धंन धंन वालमीकि महाराज जीयो, धंन धंन सतिगुरु कबीर जीयो, धंन धंन सतिगुरू फरीद जी महाराज जीयो, धंन धंन सतिगुरु नामदेव जीयो, धन धन सतिगुरू सधना जी महाराज जीयो, धंन धंन सतिगुरू सैण जी महाराज जीयो, धंन धंन सतिगुरू त्रिलोचन जी महाराज जीयो, धंन धंन संत भीलणी जी महाराज जीयो, धंन धंन संत मीरा बाई जी महाराज जीयो, सभी संतों महापुरुषो की सेवा सिमरन और चरन कमलों का दा धयान धर के
धंन धंन सतिगुरु रविदास महाराज जी के जन्म असथान मंदिर सीर गोवर्धनपुर कांशी बनारस सभी ही गुरुधामर्मों का ध्यान धर के
जपो जी सतिनाम, सतिनाम, सतिनामु जियो।
सतिगुरु रविदास महाराज जी की धुर की बाणी संचखड बेगमपुरे का ग्यान कराने वाली, दुखो का निवारण करने वाली श्री अमृतवाणी का ध्यान धर के
जपो जी सतिनाम, सतिनाम, सतिनामु जियो।
रविदासीया धर्म के अमर शहीद संत रामानंद महाराज जीयो व रविदिासीया समाज के सारे ही शहीदों की शहादत का ध्यान धर के
जपो जी सतिनाम, सतिनाम, सतिनामु जियो।
हे निमाणियां के माण निताणियां के ताण, निउटियां की ओट, निगतियां की गति, निपतियो की पत, निथाविओं के थाव, निगुरिआं के गुरू, धंन धंन सतिगुरू रविदास महाराज जीयो आप जी के चर्न कमलों में अरदास बेनती है जी, के....................................
अंम्रित वेले से ही श्री अंम्रित बाणी जी के जाप हो रहे सन, आप जी क्रिपा से जाप संपन्न हुए, आप जी के सेवादारो की तरफ से श्री अंत्रित बाणी को सुंदर रुमाला साहिब अर्पित किये गये, हरिजीओ सतिगुरु रविदास महाराज जीयो,
आप जी की रसना के लिये हलवा प्रशाद, लंगर भेंट किया है। आप जी को भोग लगे।
कहि रविदास नाम तेरो आरती, सतिनाम हरि भोग तुहारे
भोग लगा हुया प्रशाद व लंगर संगतों में वरताया जाये। धन धन सतिगुरु रविदास महाराज जीयो आप के चरनों में आई हुई संगतों की सेवा भेंटा प्रवान करनी। सभी साध संगतो की मनोकामनाए सम्पूर्ण करें, परिवारों में सत्य संतोख, तंदरुस्ती, बखशिश करें, देश प्रदेश सहायता करें। रविदासीया समाज को चड़दी कला में रखना, सभी साध संगत को बे-गम करना, सरबत का भला करना।
सतिगुरु रविदास कुल कारज करने रास, तेरे नाम की चड़दी होवे कला, तेरे भाणे सरबत का भला।
जपो जी सतिनाम, सतिनाम, सतिनामु जियो।
“प्रेम पंथ की पालकी रविदास बैठियो आय ।
सांचे सामी मिलन कू आनंद कह्यो न जाय ॥ ७०॥”
आयो अपने ईशट की मन में धरीये आस, और देव ना पूजीये, पूजो गुरु रविदास।
जो बोले सोंह निरभैय सतिगुरु रविदास महाराज की जै।
बोले सो निरभैय भगवान वालमीकि महाराज की जै।
सतिगुरु रविदास शक्ति अमर है, सतिगुरु रविदास शकित अमर है, सतिगुरु रविदास शक्ति अमर है, सतिगुरु रविदास शक्ति, अमर है, सतिगुरु रविदास शक्ति, अमर है।
जो बोले सोह निरमैय सतिगुरु रविदास महाराज की जै।
जै गुरूदेव, धंन गुरूदेव
४० शबद — सतिगुरु रविदास महाराज जी की बाणी
१. बेगमपुरा शहर को नाऊ, दूख अंधोह नाहिं तिहि ठाऊ।।
२. जाति पाति पूछे न कोई, हरि को भजै सो हरि का होई।।
३. मन चंगा तो कठौती में गंगा।।
४. हरि जन राम नाम रंग राता।।
५. अब कैसे छूटै नाम तुम्हारो।।
६. प्रभुजी तुम चंदन हम पानी।।
७. आपे गुरू चेला आपे।।
८. हरि नाम बिनु झूठे सगल पसारे।।
९. नाम बिनु नर रहे अधूरा।।
१०. हरि जन हरि रंग रचे रमता।।
११. मन मंदिर में दीप जलाओ।।
१२. हरि के नाम सुमिरन की बेल।।
१३. रविदास कहै सुनो रे भाई।।
१४. बिनु नाम दुख नास न होई।।
१५. प्रभुजी तुम राखहु लाज हमारी।।
१६. हरि नाम बिनु जीवन व्यर्थ।।
१७. दीन दयालु तुम गोबिंद।।
१८. रविदास के प्रभु राम प्यारे।।
१९. मोकउ राम नाम दीजै।।
२०. नाम ही आधार जीवन का।।
२१. प्रभुजी तुम चंदन हम पानी।।
२२. निंदक नियरे राखिये।।
२३. दीन बंदु दुख भंजन।।
२४. तेरा नाम अमृत तुल्य।।
२५. हरि बिना सब सूना।।
२६. सदा हरि नाम कीरत रहो।।
२७. प्रभुजी तुम दीन दयाल।।
२८. हरि नाम के बिना मोक्ष नहीं।।
२९. सतिगुरु रविदास बख्श लियो।।
३०. हरि रसना बसी रविदास की।।
३१. दीन दुखी के तुम रखवाले।।
३२. हरि नाम की बख्शिश देहु।।
३३. बेगमपुरा शहर बसै।।
३४. हरि नाम जपो दिन रैन।।
३५. सदा सुखी होए हरि भक्त।।
३६. हरि नाम ही मेरा आधार।।
३७. प्रभुजी तुम सदा संग।।
३८. हरि नाम बिना कछु नाही।।
३९. हरि नाम ही मुक्ति द्वार।।
४०. कहै रविदास हरि नाम सुखदाई।।
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