जीवन परिचय संत स्वामी वीर सिंह हितकारी जी महाराज

श्री 108 संत स्वामी वीर सिंह हितकारी जी महाराज

संत स्वामी वीर सिंह हितकारी जी महाराज

(संस्थापक – श्री गुरु रविदास आश्रम, गांव रंगपुर, बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश)

भारत भूमि संतों, महात्माओं और महान आत्माओं की कर्मभूमि रही है। इन्हीं विभूतियों में से एक हैं संत स्वामी वीर सिंह हितकारी जी महाराज, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन जगतगुरु रविदास महाराज जी की पावन अमृतवाणी के प्रचार-प्रसार और मानवता की सेवा को समर्पित किया।

🌸 जन्म एवं प्रारंभिक जीवन

स्वामी वीर सिंह हितकारी जी महाराज का जन्म 5 अगस्त 1970 को गांव रंगपुर, जिला बुलंदशहर (उत्तर प्रदेश) में हुआ। आपका परिवार अत्यंत धार्मिक और गुरु-गुमुखी था। बचपन से ही स्वामी जी संतों की सेवा, कीर्तन और साधना में रमे रहते थे। मात्र 7 वर्ष की आयु में ही आपने ब्रह्मलीन स्वामी स्नेह दास महाराज जी से नामदान प्राप्त किया।

🔱 वैराग्य और साधना का प्रारंभ

जहाँ माता-पिता आपको पढ़ा-लिखा कर सरकारी सेवा में देखना चाहते थे, वहीं आपकी आत्मा भक्ति और साधना में लीन रहती थी। 14 वर्ष की आयु में आपके वैराग्य और समर्पण को देखकर स्वामी स्नेह दास महाराज जी ने आपको साधु चोला प्रदान किया। सन् 1985 से 1989 तक आपने कठोर तप, साधना और गुरु रविदास महाराज जी की वाणी का गहन अध्ययन किया।

👨‍👩‍👧 गृहस्थ जीवन और समाज सेवा

आपका विवाह श्रीमती लज्जा देवी जी से हुआ। विवाहोपरांत भी आपका जीवन सादगी, सेवा और भक्ति से परिपूर्ण रहा। सन् 1990 में आपने गुरु रविदास महाराज जी की अमृतवाणी का प्रचार करने का संकल्प लिया और पूरे भारतवर्ष में यात्राएँ आरंभ कीं। आपने अनेक राज्यों और यूरोपीय देशों में जाकर रविदासिया धर्म का प्रचार किया और समाज को समानता, एकता और मानवता का संदेश दिया।

🔥 अमर शहीद संत रामानंद जी महाराज से साक्षात्कार

सन् 1990 में आगरा में आपकी मुलाकात अमर शहीद संत रामानंद जी महाराज से हुई। उनके व्यक्तित्व और समाजसेवा से प्रभावित होकर स्वामी जी ने लगातार 19 वर्षों तक उनके साथ रहकर कार्य किया। यह कालखंड स्वामी जी के आध्यात्मिक और सामाजिक जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण रहा।

🕊️ वर्तमान पद एवं योगदान

  • राष्ट्रीय प्रवक्ता – अखिल भारतीय रविदासिया धर्म संगठन, सीर गोवर्धनपुर, वाराणसी
  • प्रधान – श्री गुरु रविदास विश्राम धाम मंदिर, तुगलकाबाद, नई दिल्ली
  • सदस्य – भारत की सर्वधर्म संसद, नई दिल्ली
  • संस्थापक – श्री गुरु रविदास आश्रम, गांव रंगपुर

स्वामी जी हमेशा निडर और स्पष्ट वाणी में समाज का पक्ष रखते हैं, चाहे मंच प्रधानमंत्री के साथ संवाद का हो या अन्य धर्मों के सम्मेलनों का।

🌍 विश्व स्तर पर प्रचार-प्रसार

सन् 2021 में स्वामी जी की मुलाकात माननीय केशव ढांडा जी, अध्यक्ष ग्लोबल रविदासिया वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन यूरोप से हुई। ढांडा जी स्वामी जी के समर्पण से प्रभावित हुए और उन्हें यूरोप में अमृतवाणी का प्रचार करने का निमंत्रण दिया। स्वामी जी ने इटली, जर्मनी, फ्रांस, इंग्लैंड और अन्य देशों में प्रवचन कर गुरु रविदास महाराज जी का संदेश विश्व तक पहुँचाया।

🏅 सम्मान और मान्यता

अपनी प्रथम यूरोप यात्रा के दौरान, इटली के कार्मोना में आयोजित एक भव्य समारोह में स्वामी जी को “गोल्ड मेडल” से सम्मानित किया गया। यह सम्मान श्री गुरु रविदास प्रचार सभा कार्मोना की ओर से प्रदान किया गया, जिसमें श्री अश्विनी कुमार, श्री विजय क्लियर, श्री खुशीराम सुमन और श्री केशव कुमार ढांडा (चेयरमैन, ग्लोबल रविदासिया) उपस्थित रहे।

🌾 सादगी और ग्रामीण जीवन का सौंदर्य

इतने बड़े धार्मिक और सामाजिक कार्यों के बावजूद, स्वामी जी आज भी अपने गांव रंगपुर में सादा और सरल जीवन व्यतीत करते हैं। जब भी वे गांव लौटते हैं, तो परिवार के साथ मिलकर खेती-बाड़ी और पशुपालन जैसे कार्य करते हैं। उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि सच्चा संत वही है जो सेवा, सादगी और समर्पण को अपना जीवन बना ले।

निष्कर्ष

“भक्ति और सेवा ही जीवन का सच्चा अर्थ है।”

स्वामी जी अपने गुरु और धर्म के संदेश को लेकर आज भी भारत और विश्व में निरंतर यात्रा कर रहे हैं, और गुरु रविदास महाराज जी की वाणी को घर-घर और हृदय-हृदय तक पहुँचा रहे हैं।

✍️ Written by: श्री शेर सिंह
(राष्ट्रीय अध्यक्ष, ग्लोबल रविदासिया वेलफेयर ऑर्गनाइज़ेशन)

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