सद्गुरु रविदास महाराज जी की महिमा "ठाकुर बणि आई"

सद्गुरु रविदास महाराज जी की महिमा
सद्गुरु रविदास महाराज जी की प्रतिमा
चित्र: सद्गुरु रविदास महाराज जी — सत्य, समानता और भक्ति के प्रतीक

गुरुओं के गुरु, जगत के ठाकुर — जिनकी महिमा अकथ है

🌺 गुरु अर्जुन देव जी द्वारा स्तुति

अतः सद्‌गुरु जी की अमृत वाणी सुन कर उन अभिमानी लोगों का विवेक जाग गया। मोह-माया और विकारों का अन्धकार मिट गया। ज्ञान के प्रकाश से उन्हें सद्‌गुरु रविदास महाराज ही अपने ठाकुर दिखाई देने लगे और सभी महाराज जी के चरणों में शीश झुकाने लगे। जय-जयकार होने लगी।

सद्गुरु रविदास महाराज जी की अमृतवाणी सुनकर अभिमान और मोह में डूबे लोगों के भीतर विवेक जागृत हो गया। ज्ञान का प्रकाश फैल गया और सभी ने महाराज जी के चरणों में शीश नवाया। इस दिव्य घटना का उल्लेख श्री गुरु अर्जुन देव जी ने अपनी वाणी में किया है —

ऊच ते ऊच नामदेउ समदरसी,
रविदास ठाकुर बणि आई।
रविदासु चमारु उसतति करे हरि कीरति निमख इक गाइ ।
प्रतित जाति उतमु भइया चारि वरन पए पगि आइ ।।

सच्चाई के प्रकाश ने सबको झुका दिया — चारों वर्ण गुरु रविदास महाराज जी के चरणों में आ गए।

🌿 भक्तिकाल के संतों द्वारा गुरु रविदास जी की महिमा

🌸संत कबीर दास जी ने लिखा

साधन में रविदास संत हैं। सुपच ऋषि सो मानया।
हिन्दु तुर्क दुई दीन बने हैं, कुछ नहीं पहचानिया।।

🌸 संत पीपा जी ने लिखा

जे कलि रैदास कबीर न होते,
ते लोक वेद अरु कलजुग, मिलि कर भगति रसातल देते।।

🌼 संत धन्ना जी ने लिखा

रविदास दुवंता ढोर नीति, तिन्हि तियागी माइआ।
परगटु होआ साधसंगि, हरि दरसनु पाइआ।।

🌺 संत गोसाईं दास जी ने लिखा

ढोर भरित दुरिगंध ऊठित है, मुख दापति लैति सवासा।
ताहि तुचा लै पनिहां गांठे, भगति भयो रविदासा।।

🌷 संत अनंतदास जी ने लिखा

अबरु येक रैदास चमारा, जानि नारद लीनो ओतारा।
सूद्र कहो ते आवे लाजा, दरशनि कारनि तलफै राजा।। पण्डित मरम न जानै कोई, विशन समान ओतरै दोई।।

🌼 संत एकनाथ जी ने लिखा

रोहिदास चमार सब कुछ जाने। कठोरे गंगा देखा।।

🌻 भाई गुरदास जी ने लिखा

भगतु भगतु जगि वजिया, चहूँ चक्कां दे विचि चमिरेटा।
पाणा गंढै राह विच कुला, धर्म ढोइ ढोर समेटा।।

🌸 संत मीरा बाई जी ने कहा

नहि मैं पीहर सासरे, नहीं पिया जीरी साथ।
मीरा ने गोबिन्द मिलिया जी, गुरु मिलिया रैदास।।

🌼 संत तुकाराम जी ने लिखा

नागाजन मित नरहरि सुनार,
रविदास कबीर सगे मेरे।।

🌷 संत कर्मदास जी ने लिखा

समंत्रम् रविदास वचनं, कोटि दोष विनाशं।
रविदास चरणं ध्यान धरणं, कुल समूह उद्धारणम्।।

🌺 गुरु रविदास महाराज जी : सत्य, भक्ति और समानता के प्रतीक

अनेक संतों, विद्वानों और महापुरुषों ने गुरु रविदास महाराज जी की भक्ति, ज्ञान और समानता के संदेश का गुणगान किया। उनकी वाणी ने समाज को एकता, प्रेम और मानवता के सूत्र में पिरोया।

🌼श्री गुरु अर्जुन देव जी ने भी अपनी वाणी में फरमाया

इसी महिमा का गुणगान करते हुए श्री गुरु अर्जुन देव जी ने भी अपनी वाणी में फरमाया है:-
भलो कबीर दासु दासन को, ऊतमु सैनु जनु नाई।
ऊच ते ऊच नामदेउ समदरसी, रविदास ठाकुर बणि आई।।

🌸 महिमा अकथ है...

गुरु प्यारी साध संगत जी! इस ठाकुर की महिमा अकथनीय है। कोई शब्दकोश उनकी महानता को बाँध नहीं सकता। सद्गुरु रविदास महाराज जी की पवित्रता और भक्ति का प्रवाह सागर की लहरों समान है, जो निरंतर मानवता को आलोकित कर रहा है। यही वह दिव्य ज्योति है जो युगों-युगों तक सत्य, प्रेम और समानता का संदेश देती रहेगी।

🌺 “मन चंगा तो कठौती में गंगा” 🌺

Written by: श्री शेर सिंह, अध्यक्ष — ग्लोबल रविदासिया वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन (भारत)

Sources:
[1] श्री गुरु ग्रंथ साहिब,
[2] भक्ति साहित्य में सद्गुरु रविदास जी के उपदेश
[3] विभिन भक्ति ग्रंथ संग्रह

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